Friday, 8 April 2016

मिर्ज़ा ग़ालिब---(इश्क़ मुझको नहीं )

इश्क़ मुझको नहीं, वहशत(1) ही सही
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही

क़त्अ(2) कीजे, न तअल्लुक़(3) हम से
कुछ नहीं है, तो अदावत(4) ही सही

मेरे होने में है क्या रुसवाई(5)
ऐ वो मजलिस नहीं, ख़ल्वत(6) ही सही

हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने
ग़ैर को तुझसे मुहब्बत ही सही

हम कोई तर्के-वफ़ा करते हैं
ना सही इश्क़, मुसीबत ही सही

हम भी तस्लीम की ख़ू(7) डालेंगे
बेनियाज़ी(8) तेरी आदत ही सही

यार से छेड़ चली जाए 'असद'
गर नहीं वस्ल(9) तो हसरत ही सही
- मिर्ज़ा ग़ालिब

1. उन्माद 2. समाप्त 3. संबंध 4. दुश्मनी 5. बदनामी 6. एकांत 7. आदत 8. उपेक्षा 9. मिलन

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